सौतुक डेस्क/
आजकल पूरा देश हीट वेव या लू से परेशान है.मंगलवार को उत्तर प्रदेश के झांसी शहर के करीब रेल यात्रा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई. केरल एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे इन चार लोगों की मौत की वजह गर्मी थी. कई लोग यह कहते सुने गए कि अगर स्लीपर क्लास या शयनयान में यह स्थिति है सामान्य बोगी में यात्रा कर रहे यात्रियों की स्थिति क्या होगी! उधर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार देश में इस साल गर्मी से मरने वालों की संख्या अब तक 36 हो गई है. मरने वालों में अधिकतर आंध्रप्रदेश के लोग हैं.
देश के कई हिस्सों में जुलाई तक हीट वेव का प्रकोप रहता है. इस आधार पर कहा जाए तो अभी मरने वालों की संख्या बढ़ने के आसार हैं. पिछले साल इससे मरने वालों की संख्या 25 थी.
लू का लागातार प्रकोप बढ़ रहा है और इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है. डाउन टू अर्थ पत्रिका के अनुसार लू से प्रभावित जिलों की संख्या पहले बहुत कम थी. अब ऐसे जिलों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है.
सबसे गर्म जगह चूरू में एक भी मौत नहीं पर आंध्रप्रदेश में कई मौतें ऐसा क्यों?
राजस्थान के चूरू में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. फिर भी वहां हीट वेव से जान माल को कोई क्षति नहीं हुई है. वहीं आंध्र प्रदेश में गर्मी की वजह से कई लोगों की जान चली गई. यहां तक कि पूर्वी राजस्थान में भी कुछ लोग इस जानलेवा गर्मी के शिकार हो गए हैं. क्यों?
डाउन टू अर्थ के पत्रकार बनजोत कौर ने अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि सिर्फ तापमान से गर्मी का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. आर्द्रता या कहें उमस का भी गर्मी के प्रकोप में महत्वपूर्ण भूमिका है.
इन्होंने लिखा है कि आंध्र प्रदेश में अगर पारा 40 के पार जाता है और चूरू में 50 पहुंच जाता है फिर भी गर्मी आंध्र प्रदेश में ही अधिक मानी जायेगी.
ऐसा इसलिये कि आन्ध्र प्रदेश में आर्द्रता का स्तर 80 से 90 के बीच होता है. इसकी वजह से 40 डिग्री तापमान होने के बावजूद भी लोगों को 70 डिग्री तापमान जैसा एहसास होगा.
वहीं चूरू में आर्द्रता का स्तर 10 से 15 प्रतिशत ही रहता है इसलिए लोगों को गर्मी का वैसा एहसास नहीं होता.
हीट वेव से 2017 में 29 लोगों की जान गई थी. जबकि एक साल पहले यानी 2016 में इससे मारने वालों की संख्या 1,111 थी. मरने वालों में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोग अधिक थे.