सौतुक डेस्क/
भारत ने दुनिया के सबसे ऊँचे स्थान पर रेल चलाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. यह रेल हिमाचल प्रदेश से निकलकर जम्मू कश्मीर में लेह को जायेगी.
बिलास-मंडी-लेह रेल लाइन (मार्ग की लंबाई 498 किलोमीटर) परियोजना का सामरिक और आर्थिक नजरिये से काफी महत्व होगा. रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने लेह में बिलासपुर-मनाली-लेह नई बड़ी रेल लाइन के अंतिम स्थान सर्वे के लिए आधारशिला रखी. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के लद्दाख शहर में लेह महत्वपूर्ण शहर है.
इसकी आबादी लगभग 1.5 लाख है. यहां हर वर्ष बड़ी संख्या में भारतीय एवं विदेशी पर्यटक आते हैं. व्यापक रक्षा प्रतिष्ठानों के साथ लेह जिला देश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है और 14 कोर का यह मुख्यालय भी है. इस क्षेत्र में शीतकाल में तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है. भारी
बर्फबारी के कारण देश के दूसरे हिस्सों के साथ इस क्षेत्र का सड़क संपर्क टूट जाता है ऐसे में सामरिक तथा सामाजिक, आर्थिक आवश्यकताओं के लिए सभी मौसम के अनुकूल रेल संपर्क आवश्यक है, ऐसा सरकार का कहना है.
देश के दूसरे हिस्सों के साथ लेह को एक बड़ी लाइन से जोड़ने के लिए भारतीय रेल ने अंतिम स्थल सर्वेक्षण का काम लिया है. यह मनाली होते हुए बिलासपुर से लेह तक वास्तविक निर्माण शुरू होने से पहले की प्रक्रिया है. इससे मंडी, कुल्लू, मनाली, कीलांग तथा हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के महत्वपूर्ण शहरों से संपर्क कायम होगा. बिलासपुर से लाइन को आनंदपुर साहेब और नांगल बांध के बीच भानूपाली से जोड़ा जायेगा.
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, यह लाइन शिवालिक, ग्रेट हिमालय तथा जानसकर क्षेत्र होते हुए जाएगी. इन क्षेत्रों में ऊंचाई को लेकर अंतर है (एमएसएल से ऊपर 600 एम से 5300 एम) और यह भूकंपीय क्षेत्र IV और V में आता है. इसलिए बड़ी संख्या में सुरंग, छोटे और बड़े पुल की जरूरत होगी. अंतिम स्थल सर्वेक्षण का काम रेल मंत्रालय ने राइट्स लिमिटेड को दिया है. सरकार ने दावा किया है कि 157 करोड़ रुपये की लागत से यह लाइन 2019 तक पूरी कर ली जायेगी.