शिखा कौशिक/
विकास के नाम पर लाई गई सरकार के पिछले साढ़े चार सालों के कार्यकाल में देश ने सिर्फ गाय-गोबर जैसे मुद्दों पर ही बहस किया है. जबकि विषय शिक्षा होना चाहिए था. अब उसका नतीजा सामने दिख रहा है. बड़ी संख्या में विद्यार्थी अपनी स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़ रहे हैं. इसका खुलासा 31 दिसम्बर को लोकसभा में दिए गए एक जवाब से हुआ.
इस जवाब के अनुसार नरेन्द्र मोदी की सरकार आने के बाद से हायर सेकेंडरी में ड्रापआउट यानि पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले छात्र और छात्राओं की संख्या तीन गुनी हो गयी है. जब केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी थी, उस समय बीच में पढाई छोड़ने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत 4.33 था. यह 2014-15 का आंकड़ा है. उसके दो साल बाद 2016-17 में हायर सेकेंडरी में अपनी शिक्षा बीच में छोड़ने वालों का प्रतिशत बढ़कर 13.09 हो गया है.
वर्तमान सरकार के द्वारा लोकसभा में दिए गए जवाब से पता चलता है कि छात्र और छात्रा, दोनों समूह में हायर सेकेंडरी में अपनी शिक्षा अधूरी छोड़ने वालों का प्रतिशत बढ़ा है. वर्ष 2014-15 में जहां महज 4.12 प्रतिशत छात्रों ने अपनी शिक्षा अधूरी छोड़ी वहीँ दो साल बाद 13.18 प्रतिशत छात्रों ने आगे नहीं पढने का फैसला किया. यही हाल हायर सेकेंडरी की छात्राओं का भी है. साल 2014-15 में जहां महज 4.56 प्रतिशत छात्राओं ने शिक्षा बीच में छोड़ दी वहीँ अब आखिरी सर्वेक्षण में इनका प्रतिशत बढ़कर 12.98 प्रतिशत हो गया.
ऐसी स्थिति सिर्फ हायर सेकेंडरी में नहीं है बल्कि इस सरकार के आने के बाद से सेकेंडरी स्कूल से भी बच्चों का पढाई बीच में छोड़ने का अनुपात बढ़ा है.
यह पूछने पर कि क्या सरकार ने इसका अध्ययन किया है कि बच्चे बीच में पढाई क्यों छोड़ रहे हैं. शिक्षा मंत्री प्रकाश जावेडकर ने मनमोहन सिंह सरकार के समय के सर्वेक्षण का हवाला दिया. इन्होंने बताया कि मंत्रालय ने ऐसा सर्वेक्षण तीन बार कराया है. पहला 2005, दूसरा, 2009 और तीसरा 2014 में. इसके सर्वेक्षण के अनुसार गरीबी, संसाधन की कमी, पढ़ाई-लिखाई में रूचि न लेना इत्यादि वजह है.
लोकसभा में ये प्रश्न बीवी नाईक ने पूछा था. इस जानकारी से पता चलता है कि 2005 में 6-13 साल के कुल 134.6 लाख बच्चे स्कूल से बाहर थे. वहीँ 2014 में इनकी संख्या घटकर महज 60.64 लाख रह गई. ये उपलब्धि मनमोहन सिंह सरकार की थी. सनद रहे कि मनमोहन सिंह सरकार ने देश की जनता को कानून बनाकर शिक्षा का अधिकार दिया था.