सौतुक डेस्क/
केंद्र सरकार के खाद्य सुरक्षा कानून अन्त्योदय योजना के तहत सभी गरीब परिवारों जिसमें आदिवासी, विधवा इत्यादि सभी शामिल हैं, को हर महीने 35 किलो अनाज कम दर पर देने का प्रावधान है. लेकिन महाराष्ट्र सरकार को यह भारी लग रहा है और वह अब गरीबों के इस अधिकार के साथ भी खेल खेलना शुरू कर चुकी है.
खबरों के मुताबिक सरकार ने अपने अधिकारियों का निर्देश दिया है कि वे उन परिवारों को अन्त्योदय के श्रेणी से बाहर निकालें जिनके घर में एक या दो ही सदस्य हैं. ऐसे परिवारों के लिए एक अलग से श्रेणी बनाने के लिए कहा गया है. इसके बाद परिवारों में सदस्य के हिसाब से उन्हें राशन देने को कहा गया है.
इसका मतलब ये हुआ कि एक सदस्य वाला अन्त्योदय परिवार महज पांच किलो राशन में ही अपने महीने का गुजारा करेगा. द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक खबर के अनुसार महाराष्ट्र में कुल 25 लाख अन्त्योदय परिवार हैं.
सरकार के इस नए आदेश का विरोध शुरू हो गया है. अन्ना अधिकार आन्दोलन ने हाल ही में 14 जिलों में इसके खिलाफ आन्दोलन किया और सरकार को एक पत्र लिखा जिसमें कहा गया है कि सरकार के इस नए फरमान से कमज़ोर लोगों की दिक्कतें और बढ़ जायेंगी.
सरकार की तरफ से 21 सितम्बर को जारी एक पत्र में कहा गया है कि जब राशन कार्ड का कम्प्युटराईजेशन किया जा रहा था तो पता चला कि बहुत से अन्त्योदय कार्ड ऐसे हैं जिनसे एक या दो ही सदस्य वाले परिवार जुड़े हैं.
इस पत्र में लिखा गया है, “ऐसे परिवारों के अन्त्योदय कार्ड को रद्द किया जाना चाहिए. इनलोगों को एक नया कार्ड दिया जाएगा जिसे प्राथमिक श्रेणी में रखा जाएगा.” इस पत्र में यह भी कहा गया है कि ऐसे परिवारों की जगह उन परिवारों को शामिल किया जाना चाहिए जिनके घर में पांच या उससे अधिक सदस्य हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या महाराष्ट्र सरकार ने गरीबों के कुछ परिवारों को छोड़ रखा था जो इस लिस्ट में छोटे परिवारों की जगह अब डाले जायेंगे.
अन्त्योदय और प्राथमिक कार्ड रखने वाले दोनों ही श्रेणी गरीबी रेखा से नीचे आते हैं जिसमे अन्त्योदय को अत्यधिक गरीब माना जाता है. अन्त्योदय कार्ड रखने वाले परिवारों को हर महीने 35 किलो अनाज कम दाम पर दिया जाता है. जैसे एक किलो चावल के लिए तीन रूपया और एक किलो आंटा के लिए दो रुपये.
अधिकारियों के अनुसार साढ़े तीन लाख से अधिक ऐसे अन्त्योदय कार्ड हैं जिसपर एक या दो ही सदस्य हैं. सरकारी अधिकारियों के अनुसार ऐसे परिवार महीने में 35 किलो अनाज नहीं खर्च कर पाते हैं और जो अनाज बच जाता है उसे ये लोग बाज़ार में बेच देते हैं.
लेकिन जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उनका कहना है कि सरकार का यह नया आदेश सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और खाद्य सुरक्षा कानून के खिलाफ है. अन्त्योदय कार्ड वाले परिवार देश के सबसे कमजोर तबके से आते हैं और कानून ने पहले यह तय कर रखा है कि इनकी पहचान कैसे होनी है. अब इनको परिवार के सदस्यों के आधार पर फिर से परिभाषित नहीं किया जा सकता. मीडिया से बात करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता उल्का महाजन ने यह बात कही.