सौतुक डेस्क/
सबकुछ यदि प्लान के मुताबिक चलता रहा तो आने वाले दो-तीन सालों में समंदर में ऐसे जहाज़ भागते नज़र आयेंगे जिनको मनुष्य नहीं चला रहा होगा. यारा बर्कलैंड नामक एक ऐसे जहाज़ का निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है जो 2020 तक तैयार हो जाएगा. इस तरह यह दुनिया का पहला ऐसा पानी का जहाज, जिसको आप कार्गो भी कह सकते हैं, जो कि एकदम स्वतंत्र होगा.
यद्यपि वर्तमान के अंतर्राष्ट्रीय कानून समंदर में बिना चालक जहाज उतारने की इजाज़त नहीं देते. अगर ये कानून नहीं बदले तो यारा बर्कलैंड को नार्वे के समुद्री सीमा के भीतर ही अपनी यात्रा करनी होगी. आईएमओ के समुद्र सुरक्षा कमिटी ने जून में इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बैठक की. इससे यह तो अंदाजा लगता है कि नीति निर्धारक इस मुद्दे पर सघन विचार विमर्श कर रहे हैं. लेकिन यह इतना आसान भी नहीं होने वाला है. तमाम तकनीकी , सुरक्षा और इसके अर्थ व्यवस्था को ध्यान में रखा जाए तो यह समझना आसान है कि ऐसे किसी परिवर्तन के मूर्त रूप लेने में अभी काफी समय है.
लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय कानून में परिवर्तन संभव भी है. इसी साल संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय मेरीटाइम आर्गेनाईजेशन (आईएमओ) ने इस पर चर्चा शुरू की है. इसकी चर्चा का विषय है कि बिना इंसान के जहाज को पानी में चलने की इजाज़त दी जाए या नहीं.
अगर यह हो गया तो वह दिन दूर नहीं जब समुद्र में ‘भूत’, जहाज चलाते हुए मिलेंगे और इन भूत जहाजों में यात्रा करना न केवल सस्ता बल्कि सुरक्षित भी होगा . और तो और माना जा रहा है कि इससे दुर्घटना होने की सम्भावनाएं कम हो जाएंगी.
प्रयास महज नार्वे में ही नहीं हो रहा है. अंग्रेजी कंपनी रोल्स-रोयस ने इस साल की शुरुआत में ही रिमोट से चलने वाली एक जहाज की प्रदर्शनी कर दी थी. कई जापानी कम्पनियां ऐसे जहाज बनाने के लिए अरबों रुपये खर्च कर रही हैं.
इस विषय के विद्वानों का मानना है कि वैसे तो ऐसे जहाज़ों से दुर्घटना की सम्भावना कम हो जायेगी लेकिन जो कुछ दुर्घटनाएं होंगी वो बड़े नुकसान करने वाली साबित होंगी.
अभी इस तरह के प्रयोग को लेकर यह मुद्दा बहस में है कि इससे दुर्घटना कम होगी या अधिक. कुछ लोगों का मानना है कि स्वचालित जहाज़ों की वजह से दुर्घटनाएं कम होंगी क्योंकि अधिकतर घटनाएं मनुष्यों की गलती से होती हैं. वर्ष 2016 के वार्षिक रिपोर्ट में यूरोपियन मेरीटाइम सेफ्टी एजेंसी ने पाया कि 2011 से 2015 के बीच विश्व में जल में होने वाली कुल 880 दुर्घटनाओं का 62 प्रतिशत तो इंसानों की गलती की वजह से हुआ था.
अगर इस तथ्य को ध्यान में रखा जाए और यह माना जाए कि मशीन ये सारे मानवीय गलती न करे तो ये ‘भूत जहाज’ हो सकता है समुद्र यात्रा में आमूलचूल परिवर्तन कर दें.
इसी तर्ज़ पर मार्च 2017 में एक और अध्ययन आया जिसने कुल 100 दुर्घटनाओं का अध्ययन किया जो 1919 से 2015 के बीच हुए थे. इस अध्ययन का उद्देश्य भी यही पता लगाना था कि इन जहाज़ों में अगर इंसान नहीं होते तो दुर्घटनाएं कम होती या अधिक. अध्ययनकर्ताओं ने यह तो माना कि अगर ये स्वचालित रहते तो कम हादसे होते पर यह भी अनुमान लगाया कि जितने भी होते उनकी तीव्रता अधिक होती.