
सौतुक डेस्क/
सीमा विवाद को लेकर चल रहे तनातनी के बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी झिनपिंग आज एक दूसरे के देशों की तारीफ करते दिखे. मौका था जर्मनी में चल रहे जी-20 देशों का शिखर सम्मलेन और ये दोनों नेता ब्रिक्स देशों के एक अनौपचारिक बैठक में भाग ले रहे थे.
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति शी की अध्यक्षता में ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग की दिशा आगे बढ़ने की सराहना की और ब्रिक्स देशो के नवम्बर महीने में होने वाले शिखर सम्मलेन के लिए पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया. इसके लिए चीन को शुभकामनाये भी दी. नवम्बर में होने वाले इस शिखर सम्मलेन की मेजबानी चीन करेगा.
इसके ठीक तुरंत बाद बोलते हुए चीन के राष्ट्रपति शी ने भारत की अध्यक्षता ब्रिक्स देशों के आपसी सहयोग की गति की सराहना की. उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत संकल्प की सराहना की. साथ ही वर्ष 2016 में गोवा में संपन्न ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन से निकले परिणाम के लिए भारत को बधाई दी. उन्होंने आर्थिक और सामाजिक विकास के मद्देनजर भारत के सफलता की सराहना की और अच्छे भविष्य की कामना भी की.
इस मौके पर बोलते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि ब्रिक्स एक मजबूत आवाज है और इसे आतंकवाद और वैश्विक अर्थव्यवस्था जैसे विषयों नेतृत्व की भूमिका में आना चाहिए. उन्होंने जोर दिया कि जी 20 को सामूहिक रूप से आतंकवाद का पोषण, इन्हें सुरक्षित आश्रय देना और इसके किसी भी तरह के समर्थन का पूरी ताकत से विरोध करना चाहिए. घरेलु स्तर पर हुए जीएसटी जैसे हालिया सुधार का हवाला देते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि निरंतर वैश्विक आर्थिक सुधार के लिए सभी देशों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है. उन्होंने संरक्षणवाद के खिलाफ सामूहिक आवाज की वकालत की, विशेष रूप से व्यापार और ज्ञान के क्षेत्र में . उन्होंने पेरिस समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए आवश्यक रूप से विश्व स्तर पर इसके कार्यान्वयन पर बल दिया. प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी की शीघ्रतम स्थापना करने पर जोर दिया.
याद रहे कि आजकल चीन और भारत के बीच सीमा विवाद का मुद्दा गरमाया हुआ है और दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने हैं. ये दोनों देश करीब 3500 किलोमीटर की लम्बी सीमा है और हर साल दो साल के बाद सीमा को लेकर विवाद होता रहता है.
इस बार का विवाद पिछले विवादों से अलग है और चीन की तरफ से रोज धमकी दी जा रही है. चीन ने तो यहाँ तक कह दिया है कि भारत को वर्ष 1962 की लड़ाई से सबक लेना चाहिए.
इसबार के विवाद की जड़ भारत के पठारी क्षेत्र डोकलाम में चीन के सड़क बनाने की कोशिश से शुरू हुआ. चीन इस क्षेत्र को डोंगलोंग के नाम से बुलाता है. विवाद की जड़ वो जगह है जिसे चीन और भूटान दोनों अपना मानते हैं. यह जगह भारत के सिक्किम और भूटान के सीमा से सटी हुई है. भारत सामरिक और कुटनीतिक तौर पर भूटान की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
विवाद का क्षेत्र भारत के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है. अगर चीन यहाँ सड़क बनाने में सक्षम हो गया तो भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों को देश के अन्य हिस्से से जोड़ने वाली 20 किलोमीटर चौड़ी कड़ी जिसे अंग्रेजी में चिकन’स नेक कहते हैं पर चीन की पहुंच बढ़ जाएगी.