आदित्य पाण्डेय/
ब्रिटेन में पिछले सप्ताह रूस के एक जासूस को जहर देकर मारने की कोशिश की गयी. सर्गेइ स्क्रिपल पूर्व में रूस के लिए जासूसी का काम किया करता था. उस जहर या कहें नर्व एजेंट का प्रभाव इतना गहरा था कि न केवल सर्गेइ स्क्रिपल बल्कि उसकी बेटी की भी स्थिति खराब हो गई.
रूस की सेना में काम कर चुके और नब्बे के दशक में अंग्रेजों और रुसी शासन दोनों के लिए जासूसी कर चुके सर्गेइ स्क्रिपल पर पिछले सप्ताह दक्षिण इंग्लैंड में उनके घर के पास नर्व एजेंट से हमला किया गया था. दोनों इंग्लैंड के सेलिस्बरी नाम के शहर पर पार्क में एक बेंच पर बैठे थे. वहीँ उनके मुंह से झाग आना शुरू हुआ और उनका शरीर सफ़ेद हो गया. दोनों बाप-बेटी का शरीर कुछ इस तरह अकड़ गया कि वो अपने हाथ तक नहीं हिला पा रहे थे. वहाँ मौजूद लोगों ने सुरक्षा एजेंसी को बताया कि इस दरम्यान दोनों की आँखे पूरी तरह खुली हुईं थीं.
नर्व एजेंट के बेजा इस्तेमाल का यह बेजोड़ उदाहरण है जिसका खुफिया और कुटनीतिक लड़ाईयों में इस्तेमाल किया जाता है.
इसके बाद इंग्लैण्ड और रूस की सरकारों ने अपने-अपने पक्ष में सफाई देनी शुरू की. ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने कहा कि रूस इस घटना के लिए जिम्मेदार है. थेरेसा ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सर्गेइ स्क्रिपल और उनकी बेटी को सैन्य स्तर पर इस्तेमाल होने वाला जहर दिया गया है. इनका आरोप है कि ऐसा नर्व एजेंट रूस ही बनाता है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने थेरेसा के हवाले से बताया, “सरकार का मानना है कि सर्गेइ और उनकी बेटी युलिया पर हमले के लिए रूस के जिम्मेदार होने की अधिक संभावना है.”
यह नर्व एजेंट इतना तगड़ा था कि सारी सावधानी बरतने के बाद भी एक सुरक्षाकर्मी बीमार पड़ गया. सुरक्षा एजेंसी ने यह तो बताया कि यह नर्व एजेंट है पर कौन सा नर्व एजेंट है इसकी जानकारी नहीं दी गई है
हालांकि, सोमवार को रूस के राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता दमित्रि पेस्कोव ने पूर्व जासूस पर हमले में रूस के किसी भी भूमिका से इनकार किया.
जो भी हो यह नर्व एजेंट इतना तगड़ा था कि सारी सावधानी बरतने के बाद भी एक सुरक्षाकर्मी बीमार पड़ गया. सुरक्षा एजेंसी ने यह तो बताया कि यह नर्व एजेंट है पर कौन सा नर्व एजेंट है इसकी जानकारी नहीं दी गई है.
बीबीसी ने अपनी एक खबर में सम्भावना जताई है कि यह अब तक खोजे गए दो सबसे खतरनाक एजेंट में से कोई एक हो सकता है. इसे 1995 में टोक्यो में प्रयोग किया गया और सिरिया में तत्काल में चल रहे गृह युद्ध में इसके इस्तेमाल होने की सम्भावना जताई जा रही है. इसका नाम सरीन या वीएक्स है.
खबर आ रही है कि ब्रिटेन की प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि इस नर्व एजेंट का नाम Novichok है.
नर्व एजेंट क्या है और इनकी उत्पति कैसे हुई?
सारे नर्व एजेंट एक जैसे ही होते हैं. देखने में रंगहीन होते हैं पर और शरीर में प्रवेश करते ही एक ख़ास एंजाइम Acetylcholinesterase को काम करने से रोक देते हैं. इसे ऐसे समझा जा सकता है जैसे किसी ने नर्वस या स्नायु तंत्र को स्विच ऑफ कर दिया हो.
एबीसी साइंस को एक डॉक्टर ने समझाया, “आप कल्पना कीजिये की आप शरीर के एक मुख्य तंत्र को काम करने से रोक दिया गया है. ऐसे में शरीर के अन्य अंग को अत्यधिक काम करना पड़ेगा. इस तरह आपके शरीर के अन्य अंगो की मुश्किलें बढ़ जाती हैं.”
शरीर के अन्य अंगों को शरीर को चलाने के लिए अत्यधिक काम करना पड़ता है. इस तरह पसीना, उलटी, दस्त, फिर मुंह से झाग इत्यादि शुरू हो जाता है. धीरे-धीरे शरीर के अंग जवाब देने लगते हैं जिसकी वजह से पैरालिसिस इत्यादि हो जाता है. इस तरह व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है. इनकी दवाइयां या कहें एंटीडोट उपलब्ध हैं पर तुरंत इनका मिलना अक्सर संभव नहीं हो पाता है.
अगर इस नर्व एजेंट को कम मात्रा में दिया जाए तो यह कीटनाशक के जैसा ही काम करता प्रतीत होता है. यह महज एक संयोग नहीं है.
दुनिया का पहले नर्व एजेंट की खोज भी कीटनाशक की खोज करने के दौरान ही हुई थी. जर्मनी के एक वैज्ञानिक जरहार्ड सचरेडार (Gerhard Schrader) एक बड़े उद्योग आईजी फर्बेन के लिए कीटनाशक बनाना चाह रहे थे.
यह 1936 की बात है. उन्होंने एक कीटनाशक बना लिया लेकिन जब इसका इस्तेमाल हुआ तो न केवल कीट मरे बल्कि उसके छिड़काव के बाद संपर्क में आये अन्य जानवर भी मर गए. इसलिए खेतों में इसके छिड़काव पर पाबंदी लगा दी गई.
यह खबर जर्मनी के सेना को दी गई जिसने इसका नाम ‘tabun’ रखा. यह अंग्रेजी के ‘taboo’ शब्द से का जर्मन रूपांतरण है. इसको हिंदी में निषेध कहा जा सकता है. चूंकि इसे जर्मनी के वैज्ञानिक ने खोजा था इसलिए सारे एजेंट के आगे G लगाया गया. जैसे tabun को GA के नाम से भी जाना गया. G से जर्मनी. इस श्रंखला में जितने भी नर्व एजेंट खोजे गए सब के नाम में G लगाया गया. जैसे sarin को GB, soman को GD इत्यादि.
यद्यपि जर्मनी ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ढेर सारे नर्व एजेंट बना लिए थे लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं किया गया. इस विश्वयुद्ध के ख़त्म होने के बाद अमेरिका और रूस को इस जखीरे तक पहुँचने में सफलता मिली. इस तरह दो महाशक्तियों के बीच रासायनिक हथियारों की होड़ शुरू हो गई.
इसके बाद सबसे खतरनाक नर्व एजेंट का ईजाद किया गया. VX या ‘वेनोम एजेंट x’ जिसको अंग्रेजों ने पचास के दशक में बनाया. कई सालों तक इससे मिलता जुलता एक नर्व एजेंट VG कीटनाशक के बतौर बाज़ार में बेचा जाता रहा. अत्यधिक जहरीला और खतरनाक होने की वजह से इसे बाद में बंद करना पड़ा. तब से अब तक कई सारे नर्व एजेंट खोज लिए गए. खासकर रूस और अमेरिका में जो मानवता के लिए खतरा पैदा करने का माद्दा रखते हैं.