रजनीश जे जैन/

सुंदरता की वास्तविक परिभाषा क्या है? अचानक से यह सवाल प्रासंगिक हो गया है क्योंकि हाल ही में तेईस वर्षीया मॉडल इसाबेला हदीद को दुनिया की सबसे सुंदर महिला घोषित किया गया है। यह जानना दिलचस्प है कि इसाबेला को गणित के फॉर्मूले की बदौलत यह सम्मान मिला है।अगर यह फार्मूला नहीं होता तो निश्चित रूप से इसाबेला का मनोनयन अब तक विवादों की भेंट चढ़ चुका होता।
ग्रीक सभ्यता के एक प्राचीन शिल्पकार, चित्रकार, आर्किटेक्ट फीडिअस ने शिल्पकला को अविश्वसनीय उंचाईयों पर पहुँचाया था। उनके ओलम्पिया शहर में बनाये शिल्प को प्राचीन सात आश्चर्यों में शामिल किया गया है। फीडिअस ने जीवित मनुष्यों के शिल्प बनाने में प्राचीन ग्रीक गणित के सूत्रों का सहारा लिया था। फीडिअस के ही काम को आगे बढ़ाते हुए पंद्रहवी शताब्दी में इटली के लिओनार्दो दा विन्ची ने अपने शिल्पो और पेंटिंग्स के डायग्राम में इन्ही सूत्रों के सहारे कई कालजयी चित्रों और डायग्राम बनाये जो आज भी आर्किटेक्ट की पढ़ाई करने वालों का मार्गदर्शन कर रहे है। सैंकड़ों वर्षों से इस सूत्र की मदद से सुंदर भवनों और शिल्पों का निर्माण किया जाता रहा है।
सुंदरता का गणित से क्या वास्ता? जो सुन्दर है वह बगैर किसी किन्तु परंतु के सुंदर है! इसाबेला के उदाहरण में ब्रिटिश प्लास्टिक सर्जन डॉ डी सिल्वा ने लिओनार्दो दा विन्ची और फीडिअस के अपनाये मानकों के आधार पर यह घोषणा की। दरअसल मानव शरीर की बनावट में हरेक अंग को बाकी शरीर के एक अनुपात और बाकी अंगों से उसकी समरूपता को देखा जाता है, यही तत्व सुंदरता का निर्माण करता है व देखने वाले के मन में आकर्षण का भाव पैदा करता है।
हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही साहित्यों में सुंदरता, विशेषकर नारी सुंदरता पर अनगिनत काव्य, कहानियां और शोध ग्रन्थ उपलब्ध है। कालिदास की शकुंतला, शेक्सपियर की क्लिओपेट्रा, जायसी की पद्मावती, ग्रीक पुराणों की हेलेन ऑफ़ ट्रॉय, हमारे मुग़ल इतिहास की नूरजहाँ, अर्जुमंद बानो मुमताज महल, जहाँआरा बेगम आदि की जादुई सुंदरता और आकर्षक व्यक्तिव पर आज भी लिखा जा रहा है। वर्तमान में दिवंगत महारानी गायत्री देवी को साठ के दशक में दुनिया की दस सुंदर महिलाओ में शामिल किया गया था। लगभग इसी दौर में मादकता का पर्याय बनी अभिनेत्री मधुबाला के सौंदर्य ने हॉलीवुड फिल्म निर्माताओं को उन्हें अपनी फिल्म में लेने के लिए बम्बई आने पर बाध्य कर दिया था।
बदलते समय के साथ सुंदरता मापने के मापदंडो में भी परिवर्तन हुआ है। मिस यूनिवर्स, मिस वर्ल्ड, मिस एशिया, मिस इंडिया से होता हुआ सिलसिला स्थानीय स्तर तक आ पहुंचा है। इन सौंदर्य स्पर्धाओं न केवल बाजार को प्रभावित करना आरंभ कर दिया है वरन सौंदर्य प्रसाधनों का एक अलग बाजार खड़ा कर दिया है। इन्ही स्पर्धाओं से निकली ऐश्वर्या रॉय, सुष्मिता सेन, डायना हेडन आज अपने सौंदर्य की वजह से कुछ बहु राष्ट्रिय कंपनियों की ब्रांड एम्बेसडर बनकर अभिनय से अधिक धन कमा रही है।
यहाँ यह भी गौरतलब है कि सिनेमा ने सुंदरता को देखने के नजरिये को बुरी तरह प्रभावित किया है। नायिका को स्क्रीन पर प्रस्तुत करने के दौरान जितनी सावधानी बरती जाती है और उसे जिस कृत्रिमता से संवारा जाता है उसे कभी न कभी दर्शक ताड़ ही जाता है। फिर भी बीते दो तीन दशकों में नैसर्गिक सौंदर्य से उपकृत रेखा, श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, मनीषा कोइराला जैसी नायिकाएं अभिनय के अलावा अपने रूप लावण्य से भी दर्शकों को लुभाती रही है।

‘सुंदरता देखने वाले की आँखों में होती है’- वाक्यांश का पहला प्रयोग ईसा से तीन शताब्दी पूर्व ग्रीक में ही हुआ था परंतु इसके मंतव्य के बारे में लगभग सभी साहित्यकारों, लेखकों ने अपनी व्याख्या हर काल में लिखी है। इस कथन के अनुसार मनुष्य का सिर्फ नारी सौंदर्य पर ही सीमित रह जाना सौंदर्य भाव का अपमान है। सुंदरता कई आकार और रूपों में हमारे सामने आती है। शिल्प, कविता, संगीत, गीत, भाषा, व्यवहार, रिश्ता, प्रेम, स्वस्थ तर्क, अनुपम विचार, समाधान, जीवन, सूर्यास्त, सूर्योदय, नीले आसमान पर बंजारे बादलों का मनचाहे आकार लेना, बड़े कैनवास की तरह फैले अनंत ब्रम्हांड में सूर्य की परिक्रमा करती नन्ही धरती क्या कम सुंदर है? जन्म के समय किसी बच्चे का रुदन और उसे देख उसके माता पिता के चेहरे पर आयी मुस्कान में अप्रितम सौंदर्य छुपा है! प्रियतम के इंतजार की घड़ियाँ, बचपन में किसी मित्र की दी हुई भेट, प्रशंसा के दो शब्द, पुरानी किताब से मिला सूखा गुलाब आदि भी अकल्पनीय सौंदर्य से भरे लम्हे है! सनद रहे! क्षण भंगुर जीवन की सत्यता के बावजूद जीवन के प्रति अनुराग अलौकिक सौंदर्य से भरा है।
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(रजनीश जे जैन की शिक्षा दीक्षा जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय से हुई है. आजकल वे मध्य प्रदेश के शुजालपुर में रहते हैं और पत्र -पत्रिकाओं में विभिन्न मुद्दों पर अपनी महत्वपूर्ण और शोधपरक राय रखते रहते हैं.)