रजनीश जे जैन/

जाते हुए लम्हों को ठिठक कर देखना स्वाभाविक प्रवृति है। अक्सर इस तरह की आदत नफा नुकसान मापने की नहीं होती। कभी कभी यह मंशा सिर्फ यह देखने की भी होती है कि कौन कौनसे मोड़ से होकर जीवन का सफर तय हो रहा था। साल के अंतिम दिनों में हम अनायास ही गुजरे समय को जी भर कर देख लेना चाहते है। प्रत्यक्ष रूप से सभी इस बात को महसूस करते है कि समय सर्वकालिक है, यह कही नहीं जाता सिर्फ हम ही आते है और गुजर जाते है। जीवन के इसी दर्शन को फिल्मकारों ने अपने ढंग से पकड़ने और दर्शाने का प्रयास किया है। मानवीय मनोभावों, कमतरी और साहस पर दुनिया के लगभग हर देश में फिल्मकारों ने फिल्मे बनाई है। उन्हें दर्शक भी मिले है। परन्तु जिस तरह से हॉलीवुड ने वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता बनाई है वैसा विशेषाधिकार सबको नहीं मिला है। पूर्ण रूप से व्यवहारिक और पेशेवराना ढंग से काम करने की शैली अपना चुके हॉलीवुड ने अपनी कार्य संस्कृति विकसित की है जो हर गुजरते साल के साथ नए प्रतिमान स्थापित करती जा रही है। स्वाभाविक रूप से शेष जगत में उसका अनुसरण भी हो रहा है और नक़ल भी!
2019 में हॉलीवुड ने ऐसी कई सरहदों को छुआ है जिनका असर आने वाले वर्षों पर भी दिखाई देगा। इस साल हॉलीवुड में महज 226 फिल्मे बनकर प्रदर्शित हुई है। चालीस हजार स्क्रीन वाले अमेरिका में यह संख्या बहुत थोड़ी सी है परंतु लगभग इसी मात्रा में वहां डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का भी निर्माण होता है जिन्हे लोग टिकिट लेकर देखते है। आम फिल्मों की तरह सॉफ्ट पोर्न फिल्मे भी इसी तरह सामान्य तरीके से सिनेमा घरों में प्रदर्शित होती है। चूँकि अमेरिका में अप्रवासियों की संख्या सबसे ज्यादा है तो गैर अमरीकी फिल्मे भी बड़ी मात्रा में दर्शकों तक पहुँचती है। खासकर स्पेनिश और मेक्सिकन फिल्मे। जहाँ तक फिल्मों के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का सवाल है वहाँ हॉलीवुड वैश्विक तुलना में मीलों आगे है। इस वर्ष की दस सर्वाधिक कमाई करने वाली फिल्मों का ओसत कलेक्शन प्रति फिल्म एक अरब डॉलर से अधिक का रहा है। मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स ‘कैप्टेन मार्वल’ की रिलीज़ के साथ पहली फ्रेंचाइसी बनी जिसकी सभी फिल्मों का ग्रॉस कलेक्शन इस वर्ष 18 अरब डॉलर को पार कर गया जो कि ‘स्पाइडर मेन फार फ्रॉम होम’ के प्रदर्शन के बाद 22 अरब डॉलर पर जा पहुंचा। मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स इसी वर्ष पहली कंपनी बनी जिसकी अब तक रिलीज़ हुई सभी फिल्मों ने एक अरब की कमाई के शिखर को छुआ है। कीर्तिमान बनाने के क्रम में लोकप्रियता के शिखर पर रही वाल्ट डिज्नी भी पीछे नहीं रही। डिज्नी ने इस छः फिल्मों का वितरण किया ‘एवेंजर एंड गेम’, ‘द लायन किंग’, ‘कैप्टन मार्वल’, ‘टॉय स्टोरी 4’, ‘अलादीन और फ्रोजेन 2’, जिसमे से पांच फिल्मों ने अरबपति क्लब में शिरकत की!
2019 में हॉलीवुड ने ऐसी कई सरहदों को छुआ है जिनका असर आने वाले वर्षों पर भी दिखाई देगा। इस साल हॉलीवुड में महज 226 फिल्मे बनकर प्रदर्शित हुई है
किसी जमाने में स्टीव जॉब के द्वारा शुरू की गई ‘पिक्सर’ एनीमेशन स्टूडियो की इस वर्ष ‘टॉय स्टोरी4’ की रिलीज़ के साथ पूर्व के वर्षों में प्रदर्शित हुई एनीमेशन फिल्मों- ‘फाइंडिंग डोरी’, ‘टॉय स्टोरी 3’, एवं ‘इनक्रेडिबल’ ने वैश्विक बॉक्स ऑफिस पर एक अरब डॉलर कमाई के आंकड़े को पार करने वाली चौथी फिल्म बनने का सौभाग्य मिला। इसी वर्ष प्रदर्शित हुई ‘जोकर’ एक तरफ समालोचको के निशाने पर निशाने पर रही वही घरेलु और वैश्विक सिनेमा में एक अरब डॉलर कमा गई। ‘जोकर’ इस लिहाज से भी उल्लेखनीय रही कि इसे अमरीकी सेंसर बोर्ड से आर रेटिंग मिली थी (इस तरह की रेटिंग उस फिल्म को मिलती है जिसे 17 वर्ष से कम उम्र के दर्शक नहीं देख सकते)। आर रेटिंग की बाधा के बावजूद ‘जोकर’ हॉलीवुड फिल्म इतिहास की कमाऊ फिल्म बनी। इसी तरह विवादों में घिरी ‘द हंट’ को अपने दृश्यों की वजह से घोर विरोध का सामना करना पड़ा। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा इस फिल्म की सार्वजनिक आलोचना के बाद इसे सिनेमा हाल से हटा लिया गया।
हर गुजरते साल के साथ आंकड़ों का दायरा बढ़ रहा है और अच्छी फिल्मों की फेहरिस्त भी बढ़ती जा रही है। लोकप्रिय और कमाऊ फिल्मों पर सरसरी नजर दौड़ाने से दर्शक के बदलते टेस्ट का आकलन किया जा सकता है। मार्वल कॉमिक्स के बढ़ते ग्राफ से मार्टिन स्कॉर्सी को भी तकलीफ हो सकती है और स्टीवन स्पीलबर्ग और क्लिंट ईस्टवूड जैसे फिल्मकारों के लिए नई सरहदे तलाशने की चुनौतियां भी आ सकती है। फिल्मों से पारिवारिक मूल्यों का गायब होना और पूंजीवाद की पकड़ मजबूत होते जाने से संजीदा दर्शक भी छला महसूस करते ही होंगे! फिर भी इस धरती पर घट रही घटनाओ और फिल्मकारों की कल्पना के कॉम्बिनेशन से जो फिल्मे हमारे सामने आ रही है वे कम से कम अनदेखे अजूबे संसार में झाँकने की खिड़की के रूप में मौजूद है। यह बड़ी राहत की बात है।
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(रजनीश जे जैन की शिक्षा दीक्षा जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय से हुई है. आजकल वे मध्य प्रदेश के शुजालपुर में रहते हैं और पत्र -पत्रिकाओं में विभिन्न मुद्दों पर अपनी महत्वपूर्ण और शोधपरक राय रखते रहते हैं.)