सौतुक डेस्क/
मीडिया पर बुरे दिन के तौर पर लोग इंदिरा गाँधी द्वारा थोपे गए आपातकाल को याद करते हैं. तब सरकार खुले तौर पर खबरों के छपने न छपने को तय करती थी. लेकिन अभी का दौर भी कुछ नए अंदाज का है जब सरकार उस आपातकाल को बूरा भी कहती है और दूसरी तरफ और बदतर तरीके से मीडिया को नियंत्रित करने की कोशिश भी कर रही है.
आज बृहस्पतिवार को यह स्थिति देखने के को मिली जब एबीपी चैनल पर प्राइम टाइम शो लेकर आने वाले पुण्य प्रसून बाजपेयी को इस्तीफा देना पड़ा. इसके एक दिन पहले इस चैनल के प्रबंध सम्पादक मिलिंद खांडेकर ने भी 14 साल के कार्यकाल के बाद इस्तीफा दिया था. यही नहीं इस चैनल के साथ जुड़े अभिसार शर्मा को भी ऑफएयर करने की खबर आ रही है.
इस घटना को अंग्रेजी के पत्रकार ‘ब्लडबाथ’ की संज्ञा दे रहे हैं. पत्रकार रोहिणी सिंह ने ट्वीट किया, “भारत में मीडिया आज का सबसे बड़ा अस्तित्व संकट का सामना कर रहा है. भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में यह सबसे शर्मनाक अध्यायों में से एक होगा. ”
सनद रहे कि पुण्य प्रसून बाजपेयी का शो ‘मास्टरस्ट्रोक’ कुछ दिनों से चर्चा में था. लोग शिकायत करते हुए पाए गए थे कि इनके प्रोग्राम शुरू होने के एन मौके पर चैनल में कुछ गड़बड़ी हो जाती है और लोग यह शो नहीं देख पाते हैं. यहाँ तक कि लोगों के इस शिकायत पर चैनल ने वजह पता करने की बात भी कही थी.
“भारत में मीडिया आज का सबसे बड़ा अस्तित्व संकट का सामना कर रहा है”
कुछ लोगों का आरोप था कि सरकार इस प्रोग्राम के कंटेंट को देखते हुए जानबूझकर इस तरह की समस्या खड़ा कर रही थी ताकि लोग शो को न देख पायें.
कुछ दिनों पहले एबीपी चैनल चर्चा में तब आया था जब नरेन्द्र मोदी छत्तीसगढ़ के किसान महिला से बात की थी जिसमें उस महिला ने अपनी कहानी सुनाई थी. उस कहानी में महिला यह बताते हुए सुनी गई थी कि सरकार की अच्छी नीतियों की वजह से उसकी आमदनी दोगुनी हो गई थी. बाद में इस चैनल ने उस महिला से बात की और दावा किया कि उस महिला को ऐसा कहने के लिए सिखाया गया था.
उसके तुरंत बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने गुस्सा जाहिर किया था और इस चैनल पर आरोप लगाया था कि यह सब कोरियोग्राफ किया गया है.
इसके पहले पुण्य प्रसून बाजपेयी चर्चा में तब आये थे जब उन्होंने पतंजलि और योग से जुड़े रामदेव को आजतक चैनल पर साक्षात्कार लेते हुए यह पूछ दिया था कि पतंजलि के ही समकक्ष सारी कंपनी सरकार को आयकर देती हैं. पर पतंजलि को आयकर नहीं देना पड़ता. क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है. इस पर रामदेव भड़क गए थे. उसके कुछ ही दिनों बाद इस पत्रकार की वहाँ से विदाई हो गई थी.
मोदी सरकार पर एनडीटीवी के रविश कुमार के शो को भी प्रभावित करने के आरोप हैं. ऐसा माना जाता है कि रविश कुमार के सरकारी नीतियों के प्रति कड़ा रवैया रखने की वजह से कई शहरों में यह चैनल दिखाया ही नहीं जाता है.