सौतुक डेस्क/
नरेन्द्र मोदी सरकार की उन्मादी शक्तियों के खिलाफ रणनीतिक मौन के खिलाफ मुखर रहे हिंदी के वरिष्ठ कवि अशोक वाजपेयी के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश देना साहित्य और कलाप्रेमियों को नागवार गुजरा है. अशोक वाजपेयी सरकार के खिलाफ चले अवार्ड वापसी में अपने अवार्ड वापस लौटाने वालों में से एक थे और यह माना जा रहा है कि सरकार वेंडेटा पॉलिटिक्स के तहत ऐसा कर रही है.
कई लोगों ने सरकार के इस कदम की भर्त्सना की है और सरकार पर निचले दर्जे की राजनीति करने का आरोप लगाया.
इन साहित्यकारों के बाद कुछ फिल्म की दुनिया से जुड़े लोगों ने भी अपना विरोध दर्ज कराने के लिए अवार्ड वापसी का रास्ता चुना. इनमें प्रमुख नाम अब दिवंगत कुंदन शाह और सईद मिर्ज़ा हैं.
तो क्या यह माना जाए कि अशोक वाजपेयी जैसे साहित्यकार को छोटे-मोटे आरोप लगाकर सीबीआई जांच बैठाने वाली सरकार अन्य साहित्यकारों को भी निशाने पर लेगी. या यह सिर्फ डराने का प्रयास है ताकि लोग आगे से सरकार के खिलाफ इस तरह के आन्दोलन न करें.
कुछ प्रमुख नाम जिन्होंने अपने अवार्ड लौटाने की घोषणा की:
- उदय प्रकाश
- अशोक वाजपेयी
- कृष्णा सोबती
- कृष्णा सोबती
- मंगलेश डबराल
- राजेश जोशी
- नयनतारा सहगल
- गुरु बच्चन सिंह भुल्लर
- आत्मजीत
- अजमेर सिंह औलख
- सारा जोसफ
- डी एन श्रीनाथ
- जी एन देवी
- वरीयाम संधू
- अमन सेठी
- जी एन रँगनाथा राव