सौतुक डेस्क/
उपभोक्ताओं को कैंसर होने के जोखिम सम्बंधित चेतावनी नहीं देने के इल्जाम में अमेरिका के एक कोर्ट ने जॉनसन एंड जॉनसन पर भारी जुर्माना लगाया है. यह कंपनी बच्चों के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट बनाने के लिए जानी जाती है.
विश्व में मशहूर इस कंपनी को 417 मिलियन डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया गया है. भारतीय मुद्रा के अनुसार मुआवाजे की कुल रकम 2671 करोड़ रुपये तय हुआ है. मीडिया में आई खबरों के अनुसार इस कंपनी पर अमेरिका में ऐसे हजारों केस चल रहे हैं जिसमे यह आरोप लगाया गया है कि इस कंपनी ने उपभोक्ताओं को इसके प्रोडक्ट के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में सचेत नहीं किया. वर्तमान केस इन्ही हजारों में से एक है.
यह भुगतान उस महिला को किया जाएगा जिसको इस कंपनी के पाउडर इस्तेमाल करने की वजह से ओवेरियन कैंसर हो गया.
ओवेरियन कैंसर से जूझ रही 63 वर्षीय ईवा एचेवेरिया ने पिछले साल जुलाई में इस कंपनी पर केस किया था, जिसका फैसला सोमवार को आया.
अपने अधिकारिक बयान में जॉनसन एंड जॉनसन ने कहा है कि इस फैसले के खिलाफ कंपनी अपील करेगी. कंपनी के प्रवक्ता कैरल गुडरिक ने एक बयान में कहा, “हम इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे. क्योंकि हमारा प्रोडक्ट बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है जिसका वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद है.”
जॉनसन एंड जॉनसन के खिलाफ चल रहे तमाम केस में आने वाले अब तक के फैसलों में सबसे अधिक मुआवजा इसी केस में तय हुआ है.
इसके पहले मिसूरी के एक कोर्ट ने भी इस कंपनी के खिलाफ ऐसा ही फैसला सुनाते हुए दूसरे मामले में 110.5 मिलियन डॉलर मुआवजा देने को कहा था.
ईवा एचेवेरिया ने कोर्ट को बताया था कि वो इस कंपनी के पाउडर का इस्तेमाल 11 वर्ष की उम्र से कर रही थी और तब बंद किया जब उन्होंने टीवी पर इसके खिलाफ तमाम आरोप सुने. ये इस पाउडर का इस्तेमाल साफ़ सफाई बरतने के लिए कर रही थी. अभी ईवा का इलाज चल रहा है. कोर्ट ने इनकी दलील से सहमत होते हुए जिसमे इनका आरोप है कि पाउडर के इस्तेमाल से ही उनको कैंसर हुआ है, कंपनी पर जुर्माना लगाया है.
इनके वकील ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि ईवा ओवेरियन कैंसर की वजह से मर रही हैं. उनकी आखिरी तमन्ना यही है कि वो तमाम वैसी औरतों की मदद करें जो 20-25 सालों से इस बीमारी से लड़ रही हैं. वास्तव में ईवा किसी तरह की सहानुभूति नहीं चाहती हैं. वो बस उन संघर्ष करती महिलाओं तक जरुरी सन्देश पहुँचाना चाहती है, उनके वकील ने मीडिया को बताया.
जॉनसन एंड जॉनसन वर्ष 1886 में स्थापित अमेरिका की ही एक कंपनी है जो कई तरह का सामान बनाती है. भारत में यह कंपनी बच्चों के लिए पाउडर, साबुन इत्यादि बनाने के लिए मशहूर हैं.
मजेदार यह है कि हाल ही में चंडीगढ़ स्थित एक संस्था ने जॉनसन एंड जॉनसन के साथ टीबी के इलाज के लिए इस कंपनी के साथ एक एमओयू साइन किया है. साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) की एक संस्था इंस्टिट्यूट ऑफ़ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी ने पिछले सप्ताह इस कंपनी के साथ सहमति बनाई कि दोनों मिलकर टीबी के इलाज के लिए दवा बनायेंगे.
क्या आपको नहीं लगता कि इन सबके पहले प्रशासन को यह जांच करना चाहिए कि इसके बनाए प्रोडक्ट भारत में लोगों को ऐसी किसी चेतावनी के साथ बेचे जा रहे हैं या नहीं जिसके लिए इसे अमेरिका में जुर्माना देना पड़ रहा है.