शिखा कौशिक/
‘होनहार बिरवान के होत चिकने पात’. ऐसी कहावतों को बहुत कम चरितार्थ होते देखा जाता है. लेकिन विराट कोहली तो सच में विराट है.
विराट कोहली ने जब अपने अन्तराष्ट्रीय करियर का पहला शतक इडेन गार्डेन में लगाया था तो किसे मालूम था कि अपना पचासवां शतक मारने के लिए भी विराट भारत के लॉर्ड्स कहे जाने वाले इस खेल मैदान को चुनेंगे. उनके पहले शतक के दौरान भी कहानी गढ़ी गई थी. हुआ यह था कि उस मैच में गौतम गंभीर ने धुआंधार खेल दिखाते हुए डेढ़ सौ रन बना डाले थे. वह मैच भी श्रीलंका के खिलाफ खेला गया था जिसमे गौतम गंभीर को मैन ऑफ़ थे मैच चुना गया. पुरस्कार लेते हुए गंभीर ने कहा था कि उनके हिसाब से यह पुरस्कार विराट को मिलना चाहिए जिसने उस मैच में अपना पहला शतक मारा था.
उस समय किसने यह सोचा होगा कि कोहली अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट में इतनी दूरी तय करेंगे और मजेदार यह कि इस खिलाड़ी ने शतकों का अर्धशतक लगाने के लिए मैदान और विपक्ष भी वही चुना जो शतकों के खाता खोलने के लिए चुना था. बस इस बार यह अंतर था कि विराट खुद टीम के कप्तान भी थे.
इस खिलाड़ी ने अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट में अब यह मुकाम हासिल कर लिया है कि किसी भी एक सीरिज में अगर उनका बल्ला और वो खुद नहीं गरजे तो उनके प्रशंसको उनसे रूठने लगते हैं. यह उम्मीदों की लाजवाब दुनिया है.
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी नब्बे के स्कोर पर पहुंचते -पहुंचते भावुकता के अतिरेक पर चले जाते थे. और उनके शतक के लिए पूरे देश को प्रार्थना करनी पड़ती थी
विराट का रन बनाना ऐसा है जैसे कोई इंसान नहीं कोई मशीन रन बना रहा है. मशीन जिसमे भावनाएं नहीं है और इसलिए वह विपक्ष के सामने कमजोर पड़ता नहीं दिखता. जबकि वास्तविकता यह है कि विराट कोहली क्रिकेट मैदान में खेल के साथ-साथ अपनी भावनाओं का प्रदर्शन भी खूब करते हैं. दोनों के साथ विराट का यह सामंजस्य गज़ब है. भारत के इतिहास में शायद ऐसा नहीं हुआ है. क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी नब्बे के स्कोर पर पहुंचते पहुंचते भावुकता के अतिरेक पर पहुँच जाते थे. और उनके शतक के लिए पूरे देश को प्रार्थना करनी पड़ती थी. जबकि यहाँ मामला यह है कि सोमवार को श्रीलंका के खिलाफ खेलते हुए विराट जब 97 के स्कोर पर पहुंचे तो उन्होंने पवेलियन में बैठे रवि शास्त्री की तरफ इशारा कर के पूछा की पारी घोषित कर दूं. कोहली चाहते थे कि उनके गेंदबाजों को विपक्ष को आउट करने के लिए जरुरी समय मिले. अलबत्ता रवि शास्त्री ने उन्हें एक ओवर और खेलने की सलाह दी ताकि उनका शतक पूरा हो जाए.
सोमवार को श्रीलंका के खिलाफ विराट को शतक लगाते देखना सभी क्रिकेट प्रेमियों के लिए निजी जीवन में भी प्रेरित करने वाला था. भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री ने कहा भी कि विराट को छूने के लिए पूरा आसमान पड़ा है और विराट का प्रदर्शन टीम के लिए मनोबल बढाने के हिसाब से काफी अहम् है.
विराट के इस ऊँचाई को छूने के बाद उनका अब अगला लक्ष्य सचिन तेंदुलकर के शतकों के शतक के रिकॉर्ड को तोड़ना ही होगा. विराट को खेलते देखकर ऐसा नहीं लगता कि यह लक्ष्य भी उनसे दूर है.
विराट ने अपना पहला शतक 2009 में लगाया था. पचास शतक का आंकड़ा छूने के लिए इस खिलाड़ी ने करीब सात साल का समय लिया. अगर इनका खेल ऐसे ही जारी रहा तो बमुश्किल सात साल भी नहीं चाहिए होगा जब यह खिलाड़ी सचिन के सौ शतकों का रिकॉर्ड तोड़ कर आगे निकल जाएगा.
सबसे तेज शतकों का अर्धशतक लगाने वाले पांच खिलाड़ी
खिलाड़ी का नाम |
कुल शतकों की संख्या |
पचास शतक के लिए कुल मैच |
विराट कोहली | 50 | 348 |
हाशिम अमला | 54 | 348 |
सचिन तेंदुलकर | 100 | 376 |
रिकी पोंटिंग | 71 | 418 |
ब्रायन लारा | 53 | 465 |